Friday 13 October 2017

क्रोधित स्वभाव के विशेष ग्रहयोग

ज्योतिषीय दृष्टिकोण में हमारी कुंडली के “लग्न भाव” को हमारे स्वभाव का कारक माना गया है कुंडली का “द्वितीय भाव” भी हमारी वाणी और व्यव्हार को नियंत्रित करता है और “पंचम भाव” बुद्धि का स्थान होने से हमारे व्यव्हार को प्रभावित करता है॥*
*कुंडली के इन तीन भावों का तो महत्व है ही परंतु क्रोध और क्रोधित स्वभाव के लिए विशेषकर “मंगल” को क्रोध का कारक माना गया है॥*
*बुध हमारी बुद्धि, चन्द्रमाँ मन का, बृहस्पति विवेक का कारक है अतः मंगल के अलावा इन सभी ग्रहों की स्थिति क्रोध और क्रोध के स्तर को निश्चित करती है॥*
*एक और ग्रह है जो व्यक्ति के क्रोध को विध्वंसात्मक रूप देने का कार्य करता है वह है “राहु“, राहु को एक विध्वंसकारी और नकारात्मक ऊर्जा का कारक माना गया है जो अपनी युति से मंगल को विकृत करके व्यक्ति के क्रोध को विध्वंसकारी बना देता है॥*
*1)यदि मंगल कुंडली के लग्न या पंचम भाव में हो तो व्यक्ति में क्रोध की अधिकता होती है।*
*2)कुंडली में मंगल और बुध का योग हो तो व्यक्ति बहुत क्रोधित स्वभाव का होता है।*
*3)सूर्य और मंगल का योग व्यक्ति को क्रोधित स्वभाव का बनाता है।कुंडली के द्वितीय और पँचम भाव में यदि कोई पाप योग बना हो या कोई ग्रह नीच राशि में बैठा हो तो भी व्यक्ति अधिक क्रोध करने वाला होता है।)*
*4)बृहस्पति और मंगल का योग भी व्यक्ति को तीव्र क्रोध देता है।लग्नेश और पंचमेश के साथ मंगल का योग भी क्रोध को बढ़ाता है।*
*5)यदि कुंडली में गुरुचांडाल योग (गुरु + राहु) हो तो व्यक्ति क्रोध और अभद्र व्यव्हार करने वाला होता है।*
*6)राहु और चन्द्रमाँ का योग भी व्यक्ति को क्रोधित और चिड़चिड़े स्वभाव का बनाता है।*
*7)मंगल और राहु का योग व्यक्ति को अनियंत्रित और विध्वंसकारी क्रोध देता है।*
*8)द्वितीय भाव में राहु होना या बुध और राहु के योग में भी राहु वाणी को प्रभावित करके क्रोध को बढ़ाता है।*

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