Friday 13 October 2017

आत्मविश्वाश बढ़ाने के लिए करें सूर्योपासना

जगत के कल्याण के लिए परमात्मा ने स्वयं को ही सूर्य के रूप में प्रकट किया है यह परमात्मा का स्वरुप है सूर्य ही जगत की ऊर्जा का स्त्रोत है। सूर्य को जगत की आत्मां कहा गया है अतः धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से तो सूर्योपासना का गूढ़ महत्व है ही परन्तु ज्योतिष में भी सूर्य को नवग्रहों के राजा का पद दिया गया है सूर्य को सरकारी कार्य, पिता, पुत्र, हड्डी, यश, तेज, प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा का तो कारक ग्रह माना ही गया है इसके साथ–साथ हमारे आत्मविश्वाश और इच्छा शक्ति का नियंत्रक ग्रह भी सूर्य को ही माना गया है।
आज के भागदौड़ और प्रतिस्पर्धा भरे युग में व्यक्ति का आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति ही उसे सभी परिस्थितियों का सामना करने लायक बनाते है –
जहाँ कुंडली में स्व उच्च राशि
(सिंह, मेष) और शुभ भाव में स्थित बलि सूर्य व्यक्ति व्यक्ति को आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति से परिपूर्ण बनाता है वहीँ जिन लोगो की कुंडली में सूर्य नीच राशि (तुला) में हो, राहु से पीड़ित हो, आठवें भाव में स्थित हो, डिग्री में बहुत कमजोर हो या अन्य किसी प्रकार से पीड़ित या कमजोर हो तो ऐसे व्यक्ति में आत्मविश्वास की बहुत कमी होती है साथ ही किसी भी कार्य को करने के लिए ऐसे व्यक्ति की इच्छाशक्ति भी क्षीण होती है कमजोर सूर्य वाला व्यक्ति प्रतिभावान होने पर भी लोगों के सामने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन नहीं कर पाता जिन युवाओं की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है उन्हें इंटरव्यू आदि फेस करने में बहुत घबराहट होती है और कॉन्फिडेंस की कमी के कारण अच्छी नॉलेज होने पर भी अच्छा प्रदर्शन नहीं हो पाता सूर्य कमजोर हो ने पर व्यक्ति में आंतरिक सकारात्मक ऊर्जाएं भी क्षीण होती है तथा विल–पावर की कमी व्यक्ति की उन्नति में भी बाधक बनती है
अतः ऐसे व्यक्तियों के लिए सूर्योपासना रामबाण का कार्य करती है निरन्तर की गई सूर्योपासना से व्यक्ति का आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ने लगती है और व्यक्ति के व्यक्तित्व में भी बहुत सकारात्मक परिवर्तन होता है। इसके अतिरिक्त सूर्योपासना से आँखों, हड्डियों और हृदय रोग से जुडी समस्याओं में भी सकारात्मक परिवर्तन आते हैं, यश और प्रतिष्ठा बढ़ती हैं, निरोगता प्राप्त होती है मुख पर तेज का उदय आता है, सरकारी कार्यों में सफलता मिलती है और जीवन के संघर्ष का सामना करने की सकारात्मक शक्ति प्राप्त होती है।
आदित्य हृदय स्तोत्र – सूर्य की उपासना के लिए इससे अच्छा और सटीक उपाय दूसरा नहीं है आदित्य हृदय स्तोत्र के नियमित पाठ से बहुत शीघ्र ही व्यक्ति का आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ने लगता है और व्यक्ति अपनी प्रतिभाओं का अच्छा प्रदर्शन करने लगता है इसके पाठ से डिप्रेसन और नेगेटिव थिंकिंग की समस्या का भी समाधान हो जाता है।
प्रतिदिन ताम्र पात्र (ताम्बे का बर्तन)से प्रातः काल में सूर्य को जल अर्पित करने से आत्मविश्वास और इच्छा शक्ति में वृद्धि होती है।ऐसे में आप
सूर्य मंत्र – ॐ घृणि सूर्याय नमः का प्रतिदिन जाप करें।
प्रातः काल में सूर्य दर्शन अवश्य करें।
सूर्य यन्त्र की उपासना करें।
किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श के बाद इसका रत्न माणिक भी धारण कर सकते हैं।

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