Monday 16 October 2017

राहू और व्यापार/नौकरी

हर कोई किसी न किसी ग्रह दोष से परेशान रहता है। जिसके कारण उसके जीवन में हमेशा समस्याएं बनी रहती है। हम उपाय भी करते रहते है। जिससे इन समस्याओं से निजात मिल जाएं, लेकिन जब तक आप यह नही जान पाएगे कि कौन से ग्रह का दोष है। तब तक न तो उस ग्रह को शांत कर सकते है न ही आप समस्याओं से निजात पा सकते हैं।
-----राहू गुप्त रहता है, छिपा हुआ है, अपना भेष बदल सकता है, जो ढ़का हुआ है वह सबकुछ राहू के अधीन है। राहू की दशा अथवा अंतरदशा में ज
ातक की मति ही भ्रष्ट होती है। चूंकि राहू का स्वभाव गूढ़ है, तो यह समस्याएं भी गूढ़ देता है। जातक परेशानी में होता है, लेकिन यह परेशानी अधिकांशत: मानसिक फितूर के रूप में होती है। उसका कोई जमीनी आधार नहीं होता है। राहू के दौर में अधिकांशत: बीमारियों का कारण भी स्पष्ट नहीं हो पाता है। इसी प्रकार राहू से पीडि़त व्यक्ति जब चिकित्सक के पास जाता है तो चिकित्सक प्रथम दृष्टया निर्णय ही नहीं कर पाते हैं कि वास्तव में रोग क्या है, ऐसे में जांचें कराई जाती है, और आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ऐसे मरीज जांच रिपोर्ट में बिल्कुल दुरुस्त पाए जाते हैं। बार बार चिकित्सक के चक्कर लगा रहे राहू के मरीज को आखिर चिकित्सक मानसिक शांति की दवाएं दे देते हैं।
-----राहू के आखिरी छह साल सबसे खराब होते हैं, इस दौर में जब जातक ज्योतिषी के पास आता है तब तक उसकी नींद प्रभावित हो चुकी होती है, यहां नींद प्रभावित का अर्थ केवल नींद उड़ना नहीं है, नींद लेने का चक्र प्रभावित होता है और नींद की क्वालिटी में गिरावट आती है। मंगल की दशा में जहां जातक बेसुध होकर सोता है, वहीं राहू में जातक की नींद हल्की हो जाती है, सोने के बावजूद उसे लगता है कि आस पास के वातावरण के प्रति वह सजग है, रात को देरी से सोता है और सुबह उठने पर हैंगओवर जैसी स्थिति रहती है। तुरंत सक्रिय नहीं हो पाता है। और जातक खुद ही अपने निर्णयों को प्रभावित करने लगते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि जातक के प्रमुख निर्णय गलत होने लगते हैं। एक गलती को सुधारने की कोशिश में जातक दूसरी और तीसरी गलतियां करता चला जाता है और काफी गहरे तक फंस जाता है।
------ज्योतिष के क्षेत्र में एकमात्र राहू की ही समस्याए ऐसी है जो दीर्धकाल तक चलती है। राहू के समाधान के लिए कोई एकल ठोस उपाय कारगर नहीं होता है। ऐसे में जातक को न केवल ज्योतिषी की मदद लेनी चाहिए, बल्कि लगातार संपर्क में रहकर उपचारों के क्रम को पूरे अनुशासन के साथ फॉलो करना चाहिए।
------मेरा निजी अनुभव यह है कि राहू के उपचार शुरू करने के बाद कई जातक जैसे ही थोड़ा आराम की मुद्रा में आते हैं, वे उपचारों में ढील करनी शुरू कर देते हैं, इसका नतीजा यह होता है कि जातक फिर से फिसलकर पहले पायदान पर पहुंच जाता है।
-------ध्यान रहे कि यह कोई फलादेश नही अपितु एक जानकारी मात्र है, कुन्डली मे बैठे अन्य ग्रहों का प्रभाव भी इसमें भूमिका निभाता है। सटीक जानकारी के लिए कुन्डली का किसी योग्य ज्योतिषी से विवेचना करवा लेना श्रेयस्कर होगा। 

No comments:

Post a Comment