Monday 16 July 2018

गोचर का सिद्धांत

आकाश मंडल में घूमते ग्रह
गोचर का सिद्धांत
जो ग्रह राशि बदलते है या जो ग्रह वक्री और मार्गी होते है उससे जानने की कोशिश करते है कि इनका प्रभाव हम पर कैसा पड़ेगा और क्या यह हमको प्रभावित करेंगे
किसी भी ग्रह के गोचर में किसी भी तरह के परिवर्तन से आपको तभी उसका अच्छा या बुरा असर दिखाई देगा जब उस ग्रह का आपकी महादशा अंतर्दशा प्रत्यंतर दशा से कोई सम्बन्ध बनेगा
किसी भी ग्रह की दशा आप पर चल रही है उसका मार्गी और वक्री होने से उसकी चाल में फर्क आयगा और वो अपने फल ऊपर नीचे कर देगा दशा में चल रहे ग्रह से जब भी गोचर के गृह के सम्बंध बनेंगे दृस्टि सम्बन्ध जैसे मंगल मकर राशि मे गोचर कर रहा है वक्री होकर आप पर ऐसे ग्रह की दशा है जो उस भाव पर दृस्टि डाल रहा है जहाँ मंगल वक्री चल रहा है तो वक्री मंगल के फल भी आपको दशानाथ में दिखेंगे
जो ग्रह भी गोचर में राशि बदल रहे है या जो वक्री है अगर उनका गोचर आपकी दशा अंतर्दशा पर हो रहा है तो आपको उन ग्रहो के फल भी देखने को मिल सकते है जैसे जैसे दशानाथ अन्तर्दशानाथ पर गोचर करते हुए वो आगे पीछे जायँगे आपके दशानाथ और अन्तर्दशानाथ को कठिनाई या कोई राहत भी महसूस हो सकती है
यह ग्रह अगर मारक हुए तो आपके काम मे बाधा डालेंगे और अगर योगकारक हुए तो दशा अंतर्दशा के स्वामी को सपोर्ट करेंगे
जिस भाव मे गोचर के गृह आपके दशानाथ से सम्बन्ध बना लेंगे उस भाव के भी फल आपको अपनी दशा में देखने को मिलेंगे
गुरु शनि राहु केतु को छोड़कर सभी ग्रह जल्दी ही राशि बदल लेते है इसका मतलब यह नही वो आपको प्रभावित करेंगे वो तभी करेंगे जब तकव खुद आपकी दशाओ में नही आ जाते या इनके साथ उनका कोई सम्बन्ध नही बन जाता
उदहारण के लिए मंगल शनि वक्री चल रहे है
अगर आप पर मंगल में शनि की दशा चल रही हो तो मंगल शनि के वक्री होने का प्रभाव आप अपनी दशा में महसूस करेंगे अगर यह दोनों ग्रभ आपकी दशाओ में कही भी नही है तो इनके गोचर में अच्छी या खराब स्थिति का आप पर कोई प्रभाव नही आयगा
गोचर का सिद्धांत यही है इसलिए राशि परिवर्तन ग्रह वक्री मार्गी ग्रहो से आपका सम्बन्ध जुड़ भी रहा हैया नही यह देखना जरूरी होता है

No comments:

Post a Comment