Monday 16 July 2018

वक्री ग्रह क्या होते है और उनका फल

वक्री ग्रह क्या होते है और उनका फल

 असल मे कभी भी कोई भी ग्रह वक्री नही होता है इन ग्रहों की चाल धीमी पड़ जाती है जो हमे धरती से देखने पर ऐसे लगते है जैसे यह उल्टे चल रहे हो
यह सभी ग्रह वकृ सूर्य के प्रकाश से वक्री होते है आप ऐसा समझो आप कार चला रहे हो और अचानक दूसरी तरफ से कोई कार आ रही हो और उसका प्रकाश आपकी आंखों पर पड़ जाय तो आप अपनी कार की स्पीड को कम कर लेते हो ऐसे ही यह ग्रह जब सूर्य के आस पास एक सीमा पर डिग्री में आ जाते है तो वकृ हो जाते है जिसको हम कहते है वक्री ग्रह
सूर्य से मंगल 135 डिग्री की दूरी पर वकृ होता है मंगल जिस राशि मे वक्री होता है उसमें 127 दिन रहता है और अगली राशि को15 दिन में भोगता है
बुध सूर्य से 27 डिग्री आगे जाने पर वक्री होता है
साल में लगभग बुध 3 बार वक्री हो जाता है और बुध जब वक्री होता है तो एक दिन पहले और एक दिन बाद ऐसा दिखता है जैसे वो रुक गया हो चल ही नही रहा हो
गुरु सूर्य से 120 डिग्री पीछे हो तो वक्री हो जाता है चार महीने तक यह वक्री रहता है वक्री होने पर 12 डिग्री यह पीछे चला जाता है और वक्री होने के चार या पांच दिन ऐसा दिखता है जैसे रुक सा गया हो घूम ही नही रहा हो
शुक्र सूर्य से 45 डिग्री आगे या पीछे रहता है शुक्र साल में एक पूरे साल मार्गी रहता है और 1 साल वक्री हो जाता है
शनि सूर्य से चौथी राशि मे वक्री होता है वक्री होकर 120 डिग्री तक चला जाता है
अब यह कितने परसेंट वक्री होते है यह भी देख लो
बुध 19%के आस पास
गुरु 30%के आस पास
शुक्र 7%के आस पास
शनि 36% के आस पास
मंगल 9 % के आस पास
यह इतने % वक्री रहते है
दोस्तो कुंडली मे एक बल होता है चेष्ठा बल
चंद्रमा जब पूर्णिमा का होता है उसको यह बल मिलता है चेष्ठा बल
सूर्य जब उत्तरायण होता है तब उसको यह बल मिलता है
चेष्ठा बल का मतलब होता है किसी चीज़ को दिलोजान से चाहना उसको पागलों की तरह पाने की कोशिश करना
पर बाकी ग्रहों को यह बल तभी मिलता है जब वो
वक्री हो जाते है इस बल को मिलने के साथ इंसान में एक जुनून आ जाता है किसी भी चीज़ को पाने का वो अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी
शुभ ग्रह अगर वक्री हो कुंडली मे तो उनकी शुभता बढ़ जाती है
और अगर पापी आउट क्रूर ग्रह वक्री हो उनका पाप प्रभाव और क्रूरता बढ़ जाती है यह ज्योतिष का एक सिद्धान्त है
अब यह भी समझो ऐसा भी माना जाता है वकृ ग्रह के पास पावर बहुत ज्यादा होती है और अगर कोई ग्रह वक्री ग्रह के साथ बैठ जाए तो उसको 1/2 बल मिलता है
कोई नीच का ग्रह वक्री हो जाय तो वो अपनी नीचता को त्याग रहा होता है
और अगर उच्च ग्रह वक्री हो तो अपनी उच्चता को त्याग रहे होते है
केंद्र में बैठे वक्री ग्रह बहुत ताक़तवर होते है
और अगर वो शुभ ग्रह हो और साथ मे वक्री भी हो तो और भी ज्यादा ताक़तवर माने जाते है
इसके विपरीत अगर पापी ग्रह केंद्र में हो और वक्री हो उच्च होकर तो वो और भी ज्यादा पाप प्रभाव दिखा सकते है
आप कही जा रहे हो और आपको याद आता है मेरा कुछ सामान घर पर रह गया है कोई जरूरी चीज़ पेपर वगेरह
और आप जल्दबाज़ी में घर वापिस भागते हो और आपका पूरा दिमाग उस चीज़ में ही घूम रहा होता है वो चीज जल्दी से जाकर हासिल कर लूं आप वो चीज़ घर जाकर लेते हो और वापिस वही जाने का प्रयास करते हो जहा जाना है
इस स्थिति में जो आपकी हालात होती है वही हालात कुछ वक्री ग्रह की भी होती है
दोस्तो वक्री ग्रह आपको बहुत बढ़िया फल देता है पर नखरे और नजाकत के साथ देता है
शुभ ग्रहों में और भी ज्यादा शुभता बढ़ जाती है
बुरे ग्रहों में बुराई बढ़ जाती है
असल मे खेल जो है वो चेष्ठा बल का है जो इनको वक्री होकर मिलजाता है एक चाहा और एक जुनून होता है वक्री ग्रहों के पास
जो अपना सपना किसी भी कीमत पर पूरा करना चाहते है

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