Monday 8 January 2018

पंचम भाव....जन्म मृत्यु..प्रारब्ध..

मनुष्य मृत्यु को प्राप्त होने के पश्चात कहाँ जाता है,इस विषय पर बहुत से ग्रन्थ ,बहुत से विचार प्रस्तुत करते हैं..किन्तु जन्म लेने से पूर्व वो कहाँ से किस हालात से निकल कर आया है,ये जानकारी बहुत कम उपलब्ध होती है....ज्योतिष में इस विषय में बहुत रहस्यपूर्ण तरीके से आगे बढ़ा जाता है.लग्न व अष्ठम भाव से प्रभाव एक साथ एक दूसरे की ओर बढ़ता है..वो भी विपरीत कारक के साथ....कैसे???आइये समझते हैं...लग्न जातक का जन्म है तो अष्ठम मृत्यु...अब लग्न से अगला भाव अर्थात द्वितीय भाव ,,जन्म के पश्चात की पहली सांस है... इसके विपरीत अष्ठम से पहला अर्थात सप्तम भाव जीवन की अंतिम सांस है...एक तरफ से (लग्न से) प्रभाव आगे आने वाले कारकों के लिए बुनियाद तैयार कर रहा है,तो दूसरी ओर का प्रभाव ,अंतिम सत्य (अष्ठम मृत्यु ) से प्रारब्ध की बुनियाद तलाशने का प्रयास कर पीछे की यात्रा कर रहा है..
द्वितीय सांस के बाद तृतीय उसका आकार है,,,भविष्य की जद्दोजहद से लड़ने के लिए मनोबल ,पुरुषार्थ है....तो सप्तम से पीछे छठा भाव उस अंतिम सांस(सप्तम) के लिए कारण पैदा करने वाला भाव है....तृतीय के बाद चतुर्थ माँ की गोद है.. ..वहीँ षष्ठम भाव से पूर्व का पंचम भाव अंतिम सांस के कारण तय करने वाले भाव को उत्पन्न करने वाली भूमि है..यहाँ पाठक एक बात अवश्य गौर करें कि किसी भी भाव ,किसी भी ग्रह से सप्तम स्वतः ही उसके लिए अपोजिट प्रभाव उत्पन्न करने को मजबूर हो जाता है..अतः पंचम यदि प्रथम वस्त्र के रूप में माँ के आँचल के रूप में देखा जाता है तो एकादश इसी कारण अंतिम वस्त्र कफ़न का भाव है...लग्न को जातक माना जाय तो नवम उस भूमि का रूप है ,जिसपर ये पौधा उगा है,,,,,नवम पिता है तो नवम के पीछे पंचम उसका आधार है....इसी कारण स्पष्ट है कि जातक अपने अंश के रूप में भविष्य में जो पंचम(संतान) उत्पादन करने वाला है,वास्तव में ये ही भाव लग्न के निर्माण वाली भूमि(नवम) का आधार भाव है....अतः ज्योतिषी को सभी भाव त्यागकर सर्वप्रथम पंचम भाव का विवेचन करना श्रेष्ठ निर्णय लेने में सहायक बनता है...पंचम आपके पूर्व जन्म के किस्सों का भाव है व गुरु इस भाव का यात्री है..इसी कारण तो अष्ठम मृत्यु के बाद कालपुरुष में पहला भाव नवम गुरु का भाव है...कालपुरुष में पंचम सूर्य का भाव है जो वंश परंपरा का घोतक है, आप असल में अपने पिता का ही डीएनए हैं..और पिता आपके दादा का डीएनए....तो असल में आप दादा का ही रूप हैं...आप पिता से अधिक अपने दादा के डीएनए हैं....इसीलिए सामान्यतः अनुवांशिक बीमारियां एक पीढ़ी छोड़कर अधिक प्रबल रूप से सामने आती है....पंचम भाव आपके लिए तय कर चुका होता है कि निकट भविष्य में क्या आपके लिए मारक प्रभाव लाने वाला है...अतः मृत्यु कुंडली पंचम भाव को आधार रखकर करें तो बहुत से नए रहस्य सामने आते हैं.... ये षष्ठम रोग को व्यय करने वाला भाव है....अगर इसका रहस्य पकड़ आ गया तो शर्तिया जातक अटल मृत्यु को काटने की ताकत पा जाता है...आपने यूनानी कथाओं में फिनिक्स पक्षी का नाम सुना ही होगा...

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