Monday 8 January 2018

#शनि_को_समझना_भी_ज़रूरी_है

शनि की महादशा घर में आए मेहमान की तरह होती है। यदि मेहमान का स्वागत ना किया जाए तो वह कुछ रुष्ट सा हो जाता है। इसी तरह यदि महादशानाथ का पूजन ना किया जाए तो शुभ फल मिलने में विलम्ब हो सकता है। कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष के शनिवार से संध्या समय में शनि के लिए मंत्र जाप आरंभ करने चाहिए।
-----शनि कालपुरुष का दुख भी है अतः शनि की महादशा, साढ़े साती, ढैय्या में प्रत्येक जीव को कुछ कष्टों का सामना करना पड़ता है।
-----महिलाओं का व्यवहार भी ऐसी स्थिति में कभी कभी असामान्य सा प्रतीत होता है। ऐसी स्थितियों में कभी-कभी उन्हें समझ पाना बहुत ही मुश्किल सा हो जाता है। लगता है जैसे उन्हें किसी ने कुछ सिखा या करा दिया हो। कभी-कभी तो उनका स्वभाव ही बुरा लगने लगता है, पर असल मे ऐसी बात बिलकुल नहीं होती। हां हो सकता है, ग्रहों के अच्छे अथवा बुरे प्रभाव के कारण ऐसा हो।
-----ज्योतिष में शनि को कान, दांत, अस्थियाँ, स्नायु, चर्म, आयु, जीवन, मृत्यु, जीवन शक्ति, उदारता, विपत्ति, भूमिगत साधनों का कारक भी माना जाता है।
------किसी भी स्त्री की कुण्डली में अच्छा शनि उसे उदार एवं लोकप्रिय बनाता है साथ ही तकनीकी ज्ञान में भी आगे रखता है। शनि के शुभ प्रभाव वाली स्त्री हर क्षेत्र में अग्रणी हो कर प्रतिनिधित्व करती है। राजनीति में भी उच्च-से-उच्च पद तक पहुँचने में ज्यादा वक्त नहीं लगता ऐसे लोगों को।
-----कुण्डली में दूषित शनि स्त्री के विवाह में विलम्ब का कारण भी बन जाता है और निम्न स्तर के जीवन साथी की प्राप्ति की ओर भी संकेत करता है। ऐसी स्थिति में शनि स्त्री को ईर्ष्यालु और हिंसक बनाता है, एवं स्त्री में निराशा, उदासीनता और नीरसता लाता है। जिसके वजह से उसका दाम्पत्य जीवन को कष्टमय सा हो जाता है और फिर धीरे-धीरे वह अवसाद की तरफ बढ़ने लग जाती है जिसका परिणाम उसके जीवन में अच्छा असर नही देता है।

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