Sunday 2 September 2018

YOGAS FOR BECOMING RICH, IN A HOROSCOPE - WHICH PLANETS CAN MAKE US WEALTHY ? :

कुण्डली में धन योग एवं कौन सा ग्रह हमें बना सकता है धनवान और 
करोड़पति ?

"धनवान की ही पूजा होती है। जिस मनुष्य के पास धन नहीं होता, वह कितना ही विद्वान हो, कितना ही चतुर हो, उसे महत्ता नहीं मिलती। इस प्रकार ऐसे बहुत से व्यक्ति मिलते हैं, जो सर्वगुण सम्पन्न हैं, परन्तु धन के बिना समाज में उनका कोई सम्मान नहीं है।"
अतः यह आवश्यक है कि जन्म कुंडली में धन द्योतक ग्रहों एवं भावों का पूर्ण रूपेण विवेचन किया जाये। ज्योतिष शास्त्र में जन्म कुंडली में धन योग के लिए द्वितीय भाव, पंचम भाव, नवम भाव व एकादश भाव विचारणीय है। पंचम-एकादश धुरी का धन प्राप्ति में विशेष महत्व है।
इस संसार में हर इंसान धनवान बनना चाहता है. धनवान बनने की चाहत रखना और बनना दोनों अलग-अलग बातें हैं. धनवान बनने के लिये मेहनत के साथ-साथ अच्छी किस्मत का होना भी अति आवश्यक होता है. सभी मेहनती लोग धनवान भी नहीं बनते.
इसके विपरीत, कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो अपनी किस्मत के बल पर बहुत कम मेहनत तथा कुछ लोग गलत कार्यों द्वारा अधिक धन कमा लेते है. आज मैं कुछ ज्योतिषीय तथ्यों के माध्यम से आप लोगों को इस विषय को स्पष्ट करके बताता हूँ, जिनके द्वारा एक आम इंसान भी अपने जीवन में बहुत धन कमा सकता है.
जन्मकुण्डली में स्थित ग्रह ही आपके इच्छाओं की पूर्ति होगी या नहीं - इस बात का स्पष्टीकरण करते है । आपके अच्छे ग्रह आपको जीवन में सफलताओं की और प्रेरित करते है और बुरे गृह जीवन में हर कदम पर परेशानियाँ खड़ी करते है. आप अपने जीवन में कितना धन कमाएंगे, इसका फैसला भी आपकी कुण्डली में स्थित ग्रह ही करते हैं ।।
जिन ग्रहों का सम्बन्ध आपकी कुण्डली में धन योग से होता है वो ग्रह कैसे (शुभ-अशुभ) हैं ? यदि धन योग का निर्माण करने वाले ग्रह खराब घरों में अथवा खराब अवस्था में बैठे हों, तो उस जातक का कोई कार्य पूरा नहीं होता. फलस्वरूप, जातक धनी होने के जगह गरीबी की जिन्दगी को प्राप्त करता है.
जन्मकुण्डली में यदि ग्रहों की स्थिति ज्यादा खराब हो, तो जातक के ऊपर जीवन भर क़र्ज़ ही रहता है. ऐसा जातक जी-तोड़ मेहनत करते हुये भी धनवान नहीं बन पाता, क्योंकि धनवान बनने के लिए कुण्डली में अच्छे योगों (धनयोग) का होना अनिवार्य होता है.
धन प्राप्ति के योग :
- प्रथम भाव का मालिक ग्रह जब अच्छी स्थिति में जैसे किसी केन्द्र अथवा त्रिकोण में हो तो जातक के जीवन में सहजता से धन प्राप्ति के योग बनते हैं ।।
- यदि लग्नेश का सम्बन्ध दूसरे या ग्यारहवें घर के मालिक ग्रहों से किसी केन्द्र अथवा त्रिकोण में बने तो प्रबल धन योग का निर्माण होता है ।
- यदि किसी बुरे ग्रह की दृष्टि अथवा सम्बन्ध इन योगों पर हो तो वो इस योग को निष्क्रिय कर सकता है. परन्तु, यदि किसी शुभ ग्रह की दृष्टि इन योगों पर हो तो ये और भी प्रबल धनदायक हो जाते हैं ।।
- दूसरा घर हमारा धन स्थान होता है यहाँ से जातक के संचय धन का पता चलता है । दुसरे स्थान के मालिक की अच्छी स्थिति किसी अच्छे ग्रह के साथ किसी केन्द्र या त्रिकोण में एक बेहतरीन धनयोग का निर्माण करती है.
- दसवा घर हमारे कर्म से सम्बंधित होता है और यदि द्वितीयेश का सम्बन्ध दशमेश से हो तो जातक अपनी कर्मठता से धनार्जन करता है ।।
- ग्यारहवां घर हमारे प्रतिदिन की कमाई को दर्शता है अत: अच्छी कमाई के लिए इस घर के स्वामी का सम्बन्ध 1, 2 अथवा 10 वें घर या उनके स्वामियों से होना आवश्यक होता है ।
- जिस जातक की कुंडली में मंगल चौथे, सूर्य पांचवें और गुरु ग्यारहवें या पांचवें भाव में होता है तो उस व्यक्ति को पैतृक संपत्ति हाथ लगती है। उन्हें कृषि या संपत्ति से अकूत संपत्ति हाथ लगती है।
परन्तु, इन ग्रहों का शुभ फल उनकी दशा, अन्तरदशाओं का संबध होने पर ही प्राप्त होता है. और भी कई ऐसे तथ्य है जो जातक को धनवान बनाते हैं. दूसरा योग तब बनता है जब ग्यारहवें या दसवें भाव में सूर्य, चौथे और पांचवें भाव में मंगल हो या ग्रह इसके विपरीत स्थिति में हों तो व्यक्ति प्रशासनिक सेवाओं के जरिए धन-संपदा का मालिक बनता है. आप अपनी कुंडली के अनुसार जीवन को बदल सकते हैं और धन प्राप्त कर सकते हैं.
लग्न के अनुसार धनवान बनाने वाले ग्रह :
मेष लग्न के जातकों का शुक्र, वृष लग्न के जातकों का बुध, मिथुन लग्न के जातकों का चंद्रमा, कर्क लग्न वाले जातकों का सूर्य, सिंह लग्न वाले जातकों का बुध, कन्या लग्न वाले जातकों का शुक्र, तुला लग्न वाले जातकों का मंगल, वृश्चिक लग्न वाले जातकों का गुरु, धनु लग्न वाले जातकों का शनि, मकर लग्न वाले जातकों का शनि, कुंभ लग्न वाले जातकों का गुरु और मीन लग्न वाले जातकों का मंगल अच्छी स्थिति में होने पर या इनकी दशा और अंतरदशा आने पर जातक के पास धन का अच्छा संग्रह होता है या पैतृक संपत्ति की प्राप्ति होती है।
उपाय और रत्न - मित्र ग्रह और शत्रु ग्रह :
शत्रु ग्रहों को उपायों से शान्त करके और मित्र/सहायक ग्रहों को रत्नों द्वारा बलवान बना कर धन की स्थिति बेहतर की जा सकती है. यहीं पर अनाड़ी ज्योतिषी शत्रु ग्रहों के रत्न और मित्र ग्रहों के उपाय बता कर व्यक्ति को और भारी सङ्कट में डाल देते हैं.
हमारे पास दस व्यक्ति अगर ज्योतिषीय सलाह के लिए आते हैं, तो उनमें से नौ लोग इसी तरह गलत उपायों और रत्नों के चक्कर में पड़े होते हैं !
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