Saturday 15 September 2018

पितृ दोष

ना खर्च के ऐसे करें कुंडली में पितृ दोष को दूर
लक्षणों के आधार पर पितृ दोष होने का अनुमान लगाया जा सकता है।
संपन्नता होते हुए भी घर में अशांति और क्लेश। संतान प्राप्ति न होना। रोग, दुर्घटनाओं व शुभ कार्यों में लगातार विघ्न होते रहना।
ज्योतिष पर विश्वास करें तो पितृ दोष एक ऐसा दोष है, जिसके कारण व्यक्ति अकारण और बेवजह की समस्याओं और परेशानियों से घिरा रहता है। इस दोष के निवारण के लिए सबसे उपयुक्त समय होता है पितृ पक्ष। जिसमें आप मामूली खर्च या यूं कहें कि बिना किसी खर्च समस्या का समाधान कर सकते हैं।
क्या है पितृ दोष-जन्म कुंडली के आधार पर
यदि  Rahu 2, 5, 9, 12वें भाव में है तो जातक पितृ दोष से पीड़ित है।-परिवार के सिर्फ एक सदस्य की कुंडली में भी पितृ दोष होने पर उसका प्रभाव अन्य सदस्यों पर भी पड़ता है।-यदि व्यक्ति की जन्म कुंडली नहीं है, तो लक्षणों के आधार पर पितृ दोष होने का अनुमान लगाया जा सकता है।
संपन्नता होते हुए भी घर में अशांति और क्लेश। संतान प्राप्ति न होना।
रोग, दुर्घटनाओं व शुभ कार्यों में लगातार विघ्न होते रहना।कैसे करें निवारण-पितृ पक्ष पितृ दोष के निवारण के लिए सबसे उपयुक्त समय माना गया है।
-पूर्णिमा से प्रारंभ होकर अमावस्या तक चलने वाले पितृ पक्ष में 16 दिन तक गाय को दो रोटी (घी, शक्कर के साथ) खिलाने से पितृ दोष की शांति होती है।
-इन 16 दिन में गीता के 18 अध्याय पढ़ने से पितरों को शांति मिलती है।
जिससे पितृ दोष दूर होता है।
इसलिए 16 दिन तक सुबह उठकर स्नान कर एक कलश जल का भरें। घी का दीपक जलाकर अपने पितरों का स्मरण कर गीता का पाठ करें।
-कनागत के दिनों में पूरे परिवार के साथ गंगा स्नान करने से भी पितृ दोष की शांति होती है।
-नाले, नालियों के पास गूलर व पीपल के उगे पेड़ों को पवित्र स्थान पर लगाकर उनकी देखभाल करने से भी पितृ दोष की शांति होती है।

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