फलित ज्योतिष में षोडश वर्ग का महत्व - नवमांश कुंडली से क्या -2 देख सकते हैं ? - क्या पत्नी की कुंडली है नवमांश चक्र ? - Is NAVAMANSH KUNDALI Horoscope Of Life partner ?
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1. फलित ज्योतिष में षोडश वर्ग का महत्व :
जन्म पत्रिका का सूक्ष्म अध्ययन करने के लिए षोडश वर्ग विशेष सहायक होते हैं। इन वर्गों के अध्ययन के बिना जन्म कुंडली का विश्लेषण अधूरा है, क्योंकि षोडश वर्ग का प्रत्येक वर्ग जातक के जीवन के एक विशिष्ट कारकत्व या घटना के अध्ययन के लिए सहायक होता है। जातक के जीवन के जिस पहलू के बारे में हम जानना चाहते हैं, उस पहलू के वर्ग का जब तक हम अध्ययन नहीं करें, तो विश्लेषण अधूरा ही रहता है। जैसे हम जातक की संपत्ति-संपन्नता के विषय में जानना चाहते हैं, तो जरूरी है कि होरा वर्ग का अध्ययन करें या किसी के व्यवसाय के बारे में जानना है तो दशमांश का अध्ययन करना चाहिए। जातक के जीवन के विभिन्न पहलुओं को जानने के लिए किसी विशेष वर्ग का अध्ययन किये बिना फलित चूक सकता है।
जन्म पत्रिका का सूक्ष्म अध्ययन करने के लिए षोडश वर्ग विशेष सहायक होते हैं। इन वर्गों के अध्ययन के बिना जन्म कुंडली का विश्लेषण अधूरा है, क्योंकि षोडश वर्ग का प्रत्येक वर्ग जातक के जीवन के एक विशिष्ट कारकत्व या घटना के अध्ययन के लिए सहायक होता है। जातक के जीवन के जिस पहलू के बारे में हम जानना चाहते हैं, उस पहलू के वर्ग का जब तक हम अध्ययन नहीं करें, तो विश्लेषण अधूरा ही रहता है। जैसे हम जातक की संपत्ति-संपन्नता के विषय में जानना चाहते हैं, तो जरूरी है कि होरा वर्ग का अध्ययन करें या किसी के व्यवसाय के बारे में जानना है तो दशमांश का अध्ययन करना चाहिए। जातक के जीवन के विभिन्न पहलुओं को जानने के लिए किसी विशेष वर्ग का अध्ययन किये बिना फलित चूक सकता है।
2. षोडश वर्ग के सोलह वर्ग :
षोडश वर्ग में सोलह वर्ग हैं, जो जातक के विभिन्न पहलुओं की जानकारी देते हैं। जैसे: होरा से संपत्ति व समृद्धि, द्रेष्काण से भाई-बहन, पराक्रम, चतुर्थान्श से भाग्य, चल एवं अचल संपत्ति, सप्तांश से संतान, नवांश से वैवाहिक जीवन व जीवन साथी, दशमांश से व्यवसाय व जीवन में उपलब्धियां, द्वादशांश से माता-पिता, षोडशांश से सवारी एवं सामान्य खुशियां, विंशांश से पूजा-उपासना और आशीर्वाद, चतुर्विंशांश से विद्या, शिक्षा, दीक्षा, ज्ञान आदि, सप्तविंशांश से बल एवं दुर्बलता, त्रिंशांश से दुःख, तकलीफ, दुर्घटना, अनिष्ट, खवेदांश से शुभ या अशुभ फलों का विवेचन, अक्षवेदांश से जातक का चरित्र, षष्ट्यांश से जीवन के सामान्य शुभ-अशुभ फल आदि अनेक पहलुओं का सूक्ष्म अध्ययन किया जाता है। यूं तो सभी वर्ग महत्वपूर्ण हैं लेकिन आज के युग में जातक धन, पराक्रम, भाई-बहनों से वाद-विवाद, रोग, संतान, वैवाहिक जीवन, साझेदारी, व्यवसाय, माता-पिता और जीवन में आने वाले संकटों के बारे में अधिक प्रश्न करता है। इन प्रश्नों के विश्लेषण के लिए होरा, द्रेष्काण, सप्तांश, नवांश, दशमांश, द्वादशांश और त्रिंशांश काफी हैं. क्योंकि आज का मानव इन्हीं से संबंधित अधिक प्रश्न करता है।
षोडश वर्ग में सोलह वर्ग हैं, जो जातक के विभिन्न पहलुओं की जानकारी देते हैं। जैसे: होरा से संपत्ति व समृद्धि, द्रेष्काण से भाई-बहन, पराक्रम, चतुर्थान्श से भाग्य, चल एवं अचल संपत्ति, सप्तांश से संतान, नवांश से वैवाहिक जीवन व जीवन साथी, दशमांश से व्यवसाय व जीवन में उपलब्धियां, द्वादशांश से माता-पिता, षोडशांश से सवारी एवं सामान्य खुशियां, विंशांश से पूजा-उपासना और आशीर्वाद, चतुर्विंशांश से विद्या, शिक्षा, दीक्षा, ज्ञान आदि, सप्तविंशांश से बल एवं दुर्बलता, त्रिंशांश से दुःख, तकलीफ, दुर्घटना, अनिष्ट, खवेदांश से शुभ या अशुभ फलों का विवेचन, अक्षवेदांश से जातक का चरित्र, षष्ट्यांश से जीवन के सामान्य शुभ-अशुभ फल आदि अनेक पहलुओं का सूक्ष्म अध्ययन किया जाता है। यूं तो सभी वर्ग महत्वपूर्ण हैं लेकिन आज के युग में जातक धन, पराक्रम, भाई-बहनों से वाद-विवाद, रोग, संतान, वैवाहिक जीवन, साझेदारी, व्यवसाय, माता-पिता और जीवन में आने वाले संकटों के बारे में अधिक प्रश्न करता है। इन प्रश्नों के विश्लेषण के लिए होरा, द्रेष्काण, सप्तांश, नवांश, दशमांश, द्वादशांश और त्रिंशांश काफी हैं. क्योंकि आज का मानव इन्हीं से संबंधित अधिक प्रश्न करता है।
3. षोडश वर्ग के अतिरिक्त वर्ग :
षोडश वर्ग में सोलह वर्ग लिए गए हैं लेकिन इसके अतिरिक्त भी और चार वर्ग पंचमांश, षष्टांश, अष्टमांश और एकादशांश हैं। पंचमांश जातक की आध्यात्मिक प्रवृत्ति, पूर्व जन्मों के पुण्य एवं संचित कर्मों की जानकारी देता है। षष्टांश से जातक के स्वास्थ्य, रोग के प्रति अवरोधक शक्ति, ऋण, झगड़े आदि की विवेचना की जाती है। एकदशांश जातक की बिना प्रयास धन प्राप्ति को दर्शाता है। यह वर्ग पैतृक संपत्ति, शेयर, सट्टे के द्वारा स्थायी धन प्राप्ति की जानकारी देता है। अष्टमांश से जातक की आयु एवं आयुर्दाय के विषय में जानकारी मिलती है।
षोडश वर्ग में सोलह वर्ग लिए गए हैं लेकिन इसके अतिरिक्त भी और चार वर्ग पंचमांश, षष्टांश, अष्टमांश और एकादशांश हैं। पंचमांश जातक की आध्यात्मिक प्रवृत्ति, पूर्व जन्मों के पुण्य एवं संचित कर्मों की जानकारी देता है। षष्टांश से जातक के स्वास्थ्य, रोग के प्रति अवरोधक शक्ति, ऋण, झगड़े आदि की विवेचना की जाती है। एकदशांश जातक की बिना प्रयास धन प्राप्ति को दर्शाता है। यह वर्ग पैतृक संपत्ति, शेयर, सट्टे के द्वारा स्थायी धन प्राप्ति की जानकारी देता है। अष्टमांश से जातक की आयु एवं आयुर्दाय के विषय में जानकारी मिलती है।
4. षोडश वर्ग पर कितना ध्यान देना चाहिए ?
जब किसी विषय विशेष का बहुत ही सूक्ष्म अध्ययन करना हो, तब षोडश वर्ग पर पूर्ण ध्यान देना चाहिए। वर्ग कुंडलियों में एक वर्ग से हर प्रश्न पर विचार नहीं होता है। किसी विशेष विषय के लिए संबंधित वर्ग पर विचार करना चाहिए।
जब किसी विषय विशेष का बहुत ही सूक्ष्म अध्ययन करना हो, तब षोडश वर्ग पर पूर्ण ध्यान देना चाहिए। वर्ग कुंडलियों में एक वर्ग से हर प्रश्न पर विचार नहीं होता है। किसी विशेष विषय के लिए संबंधित वर्ग पर विचार करना चाहिए।
5. षोडश वर्ग में भी क्या अलग-अलग भाव अलग-अलग पहलुओं को दर्शाते
हैं ? :
षोडश वर्ग में अलग-अलग भाव अलग पहलुओं को नहीं दर्शाते हैं। वर्ग कुंडली में वर्ग के लग्न और उसमें बैठे ग्रहों का ही महत्व है।
हैं ? :
षोडश वर्ग में अलग-अलग भाव अलग पहलुओं को नहीं दर्शाते हैं। वर्ग कुंडली में वर्ग के लग्न और उसमें बैठे ग्रहों का ही महत्व है।
6. नवमांश कुंडली :
अगर लग्न कुंडली शरीर है तो नवमांश कुंडली उसकी आत्मा है. ज्योतिष के अध्ययन में लग्न कुंडली के अलावा 15 कुंडलियां सहायक होती हैं. लेकिन बिना नवमांश कुंडली देखे, लग्न कुंडली पर विचार नहीं हो सकता.
यदि हम प्रत्येक राशि को नौ बराबर हिस्से में बांटे तो 12 राशियों में कुल मिलकर 108 नवमांश होंगे, परन्तु नवमांशो के स्वामी भी लग्न कुण्डली की तरह ही होते हैं, जैसे 1 नम्बर लग्न मेष है और उसका स्वामी मंगल है.
लग्न कुंडली जातक का शरीर है तो चन्द्र कुंडली मन हैं एवं नवांश कुंडली जातक की आत्मा होती है. नवमांश कुंडली से जातक की पत्नी पत्नी या जातिका के पति का विचार किया जाता है. पारिवारिक सुख दुःख में भी नवमांश कुंडली से बहुत सहायता मिलती है.
अगर लग्न कुंडली शरीर है तो नवमांश कुंडली उसकी आत्मा है. ज्योतिष के अध्ययन में लग्न कुंडली के अलावा 15 कुंडलियां सहायक होती हैं. लेकिन बिना नवमांश कुंडली देखे, लग्न कुंडली पर विचार नहीं हो सकता.
यदि हम प्रत्येक राशि को नौ बराबर हिस्से में बांटे तो 12 राशियों में कुल मिलकर 108 नवमांश होंगे, परन्तु नवमांशो के स्वामी भी लग्न कुण्डली की तरह ही होते हैं, जैसे 1 नम्बर लग्न मेष है और उसका स्वामी मंगल है.
लग्न कुंडली जातक का शरीर है तो चन्द्र कुंडली मन हैं एवं नवांश कुंडली जातक की आत्मा होती है. नवमांश कुंडली से जातक की पत्नी पत्नी या जातिका के पति का विचार किया जाता है. पारिवारिक सुख दुःख में भी नवमांश कुंडली से बहुत सहायता मिलती है.
7. क्या नवमांश कुण्डली व्यक्ति के भाग्य के बारे में भी बताती है ?
हमारा और अन्य कई ज्योतिषियों का यह मानना है, कि अगर लग्न कुण्डली किसी पेड़ पर फलों के फूल हैं (जैसे आम का बौर) तो नवमांश कुण्डली उसका फल है. यानि कि नवमांश कुण्डली भाग्य के बारे में भी बताती है. इसे आप वैसे भी समझ सकते हैं. किसी भी व्यक्ति के जीवन में उसकी/उसका जीवन साथी जीवन को सुखी/दुखी बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उसके घरेलू जीवन की स्थिति बहुत सीमा तक उसके भाग्य का भी दर्पण है.
हमारा और अन्य कई ज्योतिषियों का यह मानना है, कि अगर लग्न कुण्डली किसी पेड़ पर फलों के फूल हैं (जैसे आम का बौर) तो नवमांश कुण्डली उसका फल है. यानि कि नवमांश कुण्डली भाग्य के बारे में भी बताती है. इसे आप वैसे भी समझ सकते हैं. किसी भी व्यक्ति के जीवन में उसकी/उसका जीवन साथी जीवन को सुखी/दुखी बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उसके घरेलू जीवन की स्थिति बहुत सीमा तक उसके भाग्य का भी दर्पण है.
8. वर्गोतम ग्रह :
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि जो ग्रह लग्न कुंडली में जिस राशि में होता है यदि उसी राशि का नवमांश कुंडली में भी आ जाता है तो वह ग्रह वर्गोत्तम हो जाता है और उस ग्रह के फल देने की क्षमता द्विगुणित हो जाती है. वर्गोतम ग्रह को फलित ज्योतिष में अच्छा माना जाता है. यहाँ यह हम अपनी ओर से जोड़ दें, कि हमने अधिकतर मामलों में 'वर्गोत्तम' ग्रहों का कोई विशेष प्रभाव नहीं देखा. यानि कि, अगर सिंह लग्न की कुंडली में मंगल नीच (कर्क राशि) का है, और नवमांश में भी कर्क का है, तो हमने इसके कारण कोई बेहतर परिणाम नहीं देखे.
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि जो ग्रह लग्न कुंडली में जिस राशि में होता है यदि उसी राशि का नवमांश कुंडली में भी आ जाता है तो वह ग्रह वर्गोत्तम हो जाता है और उस ग्रह के फल देने की क्षमता द्विगुणित हो जाती है. वर्गोतम ग्रह को फलित ज्योतिष में अच्छा माना जाता है. यहाँ यह हम अपनी ओर से जोड़ दें, कि हमने अधिकतर मामलों में 'वर्गोत्तम' ग्रहों का कोई विशेष प्रभाव नहीं देखा. यानि कि, अगर सिंह लग्न की कुंडली में मंगल नीच (कर्क राशि) का है, और नवमांश में भी कर्क का है, तो हमने इसके कारण कोई बेहतर परिणाम नहीं देखे.
9. कैसे देखें षोडशवर्गीय चार्ट्स को ?
अगर किसी जातक का लग्न मानिये मिथुन है. और यह मान लें कि नवमांश चार्ट में उसका लग्न मेष निकलता है. अब हम लग्न कुण्डली में मिथुन लग्न के सप्तमेष (गुरु) की स्थिति, मंगल की स्थिति, और नवमांश कुण्डली में मंगल और गुरु की स्थिति देखेंगे. अगर दोनों की स्थिति दोनों कुण्डलियों, या चार्ट्स में अच्छी है, तो व्यक्ति का वैवाहिक जीवन और जीवन साथी अच्छा होगा. अगर दोनों में खराब है, तो बहुत खराब और अगर एक में अच्छी और दुसरे में खराब, या एक की दोनों में अच्छी, पर दूसरे (मंगल/गुरु) की दोनों में खराब, या इसी प्रकार अनुमान लगाया जायेगा. वैसे तो इनके गहरे मतलब होते हैं, पर सरलता से समझने के लिए ऐसे लिख दिया जाता है.
अगर किसी जातक का लग्न मानिये मिथुन है. और यह मान लें कि नवमांश चार्ट में उसका लग्न मेष निकलता है. अब हम लग्न कुण्डली में मिथुन लग्न के सप्तमेष (गुरु) की स्थिति, मंगल की स्थिति, और नवमांश कुण्डली में मंगल और गुरु की स्थिति देखेंगे. अगर दोनों की स्थिति दोनों कुण्डलियों, या चार्ट्स में अच्छी है, तो व्यक्ति का वैवाहिक जीवन और जीवन साथी अच्छा होगा. अगर दोनों में खराब है, तो बहुत खराब और अगर एक में अच्छी और दुसरे में खराब, या एक की दोनों में अच्छी, पर दूसरे (मंगल/गुरु) की दोनों में खराब, या इसी प्रकार अनुमान लगाया जायेगा. वैसे तो इनके गहरे मतलब होते हैं, पर सरलता से समझने के लिए ऐसे लिख दिया जाता है.
10. पर षोडशवर्गीय कुण्डलियों या चार्ट्स की अपनी एक सीमा भी है :
जहाँ षोडशवर्गीय कुण्डलियों का अपना महत्व है, उनको सब कुछ समझ लेना भी गलत होगा. इन कुण्डलियों को जन्म लग्न कुण्डली के साथ जोड़कर उसे और विस्तार में समझने और विश्लेषण में सहायक के तौर पर देखा जाता है, उस से अधिक महत्व भी नहीं दिया जा सकता. कई ज्योतिषी तो इन कुण्डलियों के आधार पर रत्न और उपाय तक बताने लग जाते हैं,जो कि पूर्णतया गलत है. इन्हें देखते समय लग्न कुण्डली को नज़रअंदाज़ कभी नहीं किया जा सकता
जहाँ षोडशवर्गीय कुण्डलियों का अपना महत्व है, उनको सब कुछ समझ लेना भी गलत होगा. इन कुण्डलियों को जन्म लग्न कुण्डली के साथ जोड़कर उसे और विस्तार में समझने और विश्लेषण में सहायक के तौर पर देखा जाता है, उस से अधिक महत्व भी नहीं दिया जा सकता. कई ज्योतिषी तो इन कुण्डलियों के आधार पर रत्न और उपाय तक बताने लग जाते हैं,जो कि पूर्णतया गलत है. इन्हें देखते समय लग्न कुण्डली को नज़रअंदाज़ कभी नहीं किया जा सकता
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