Sunday 6 May 2018

लग्नानुसार बाधक ग्रह

लग्नानुसार बाधक ग्रह
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कई बार देखा जाता है कि जन्म पत्री में शुभ ग्रह, उच्च के ग्रह, मित्र के ग्रह होने पर भी हमें आशातीत सफलता नहीं मिलती तब हमें यह जानना पड़ेगा कि जन्मपत्री का कोई ग्रह सफलता या कार्य में बाधा तो नहीं कर रहा है।
जन्म पत्री के ग्रहो से यदि कार्य ना हो तो समझ लेना चाहिए कि जन्म पत्री के ग्रह काम नहीं कर रहे है। इसका मतलब है कि कोई ग्रह पत्री में बाधाकारक अर्थात बाधा कर रहा है क्योकि बाधाकारक ग्रह के कारण शुभ ग्रह फल नहीं देते है पता लगने पर बाधाकारक ग्रह की पूजा किसी विद्वान ब्राम्हण से करा कर शांति करे जिससे सभी कार्य सफल हो व ग्रहो का शुभ फल मिले। इस समय उस ग्रह का दान भी किया जा सकता है।
जैसे : मेष लग्न होने पर ग्यारहवें भाव का स्वामी बाधाकारक होता है यदि शुभ ग्रह होने पर शुभ फल या मनोरथ पुरे नहीं होते, कार्य में अड़चन आती है तो ग्यारहवें भाव के स्वामी का जाप व पूजन करने से सभी कार्य निर्विध्न पुरे होगे। यहाँ पर ग्यारहवें भाव का स्वामी शनि होगा इस कारण शनि की पूजा करे, पीपल पर साम को जोत जलाये व काली वस्तु का दान शनिवार को करे।
2 : वृष लग्न होने पर नवम भाव का स्वामी बाधाकारक होता है नवम भाव में मकर राशि(10) पड़ती है। इसका स्वामी शनि होता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है इस कारण यदि शुभ फल या कार्यो में बाधा आ रही हो तब जानना चाहिए कि शनि के कारण बाधा आ रही है तो शनिवार को शनि पर सरसो का तेल चढ़ाये व शनि चालीसा का पाठ करे। चित्र
3 : यदि जातक व जातिका की जन्म कुंडली में मिथुन लग्न हो तो सप्तम भाव का स्वामी बाधाकारक होता है इस लग्न में सप्तम भाव का स्वामी गुरु(बृहस्पति) होता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। जब विवाह आदि शुभ कार्यो में अड़चन आ रही हो तो सप्तम भाव के स्वामी गुरु(बृहस्पति) की पूजा किसी विद्वान ब्राह्मण से कराये और पीली वस्तुओ का दान गुरुवार को करे, गुरु मंत्र का जाप करे जिससे सभी बाधा दूर होकर शुभ फल मिले।
4 : यदि जातक व जातिका की जन्म कुंडली में कर्क लग्न होने पर ग्यारहवे(11) भाव का स्वामी बाधाकारक होता है यहाँ पर कर्क लग्न में ग्यारहवे(11) भाव का स्वामी शुक्र होगा जिससे सभी भौतिक सुखो में कमी होना, सुख कम मिलना, भोग की वस्तुओ की कमी रहती है इस कारण शुक्र ग्रह की पूजा करने से सभी मनोरथ पूरे होंगे। लक्ष्मी चालीसा का पाठ व सफ़ेद वस्तुओ का दान शुक्रवार करे।
5 : यदि जातक व जातिका की जन्म कुंडली में सिंह लग्न होने पर नवम भाव का स्वामी बाधाकारक होता है जो जन्म पत्री के अनुसार मंगल होगा। इससे झगड़ा, वाद-विवाद, तनाव, मुकदमा आदि होते है इस कारण बाधाकारक ग्रह मंगल का जाप व दान करे यहाँ पर आप हनुमान चालीसा का पाठ करना शुभ रहेगा जिससे शांति रहेगी।
6 : यदि जातक व जातिका की जन्म कुंडली में कन्या लग्न होने पर सप्तम भाव का स्वामी बाधाकारक होता है यहाँ पर सप्तम भाव का स्वामी गुरु(बृहस्पति) होगा। जिससे वैवाहिक जीवन में तनाव, झगड़ा, खर्च आदि होना तब जानना चाहिए कि ये सब गुरु(बृहस्पति) के कारण बाधा आ रही है तो गुरु(बृहस्पति) की पूजा करे, ब्राह्मण को प्रणाम करे, गुरुवार का व्रत करे तो सुख-शांति रहेगी।
7 : यदि जातक व जातिका की जन्म कुंडली में तुला लग्न होने पर सभी ग्रह शुभ होते हुए फल नहीं दे रहे हो तो जानना चाहिए कि ग्यारहवे(11) भाव का स्वामी बाधा कर रहा है जो यहाँ पर बाधाकारक गृह सूर्य है जिससे मान, अपमान और यश न मिलना, आमदनी में परेशानी होती है इस समय सूर्य की पूजा करना व सूर्य को जल देना, पिता का सम्मान करना और गायत्री मंत्र का जाप करना शुभ रहेगा।
8 : यदि जातक व जातिका की जन्म कुंडली में वृश्चिक लग्न होने पर यदि कार्य नहीं हो रहे हो तो समझ ले कि नवम भाव का स्वामी बाधा कर रहा है जो यहाँ पर नवम भाव का स्वामी चन्द्रमा है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। जिससे मानसिक परेशानी होना, ब्लड प्रेशर होना, धन खर्च होना, किसी कार्य या भगवन की पूजा में मन न लगना तब यहाँ पर चन्द्रमा की पूजा शुभ फल देगी। यहाँ पर आप सफ़ेद वस्तु का दान सोमवार को करे व शिवलिंग पर दूध चढ़ावे तो सभी कार्य पुरे होंगे और शांति मिलेगी।
9 : यदि जातक व जातिका की जन्म कुंडली में धनु लग्न हो तब बाधाकारक ग्रह सप्तम भाव का स्वामी होता है यहाँ पर सप्तम भाव का स्वामी बुध बाधाकारक होगा तब जानना चाहिए कि बुध के कारण ग्रह शुभ फल नहीं दे रहे है बुध एक नपुंसक ग्रह भी है इसकी शांति के लिए बुध का जाप, दुर्गा का पाठ, हिजड़ो को हरी वस्तु का दान बुधवार को करे।
10 : यदि जातक व जातिका की जन्म कुंडली में मकर लग्न होने पर ग्यारहवे(11) भाव ,का स्वामी बाधाकारक होता है यहाँ पर ग्यारहवे(11) भाव में वृश्चिक राशि पड़ती है इसका स्वामी मंगल होता है इस कारण मंगल ही बाधाकारक ग्रह हुआ जिससे धन का नुकसान होना, आमदनी में तनाव, उदर रोग तथा संतान सबंधी परेशानी होने पर मंगल ग्रह की शांति करे। मंगल का जाप, गाये को गुड़ खिलाये और हनुमान चालीसा का पाठ करे तो सुख-शांति रहेगी याद रखे कि मंगलवार को कभी कर्ज ना ले।
11 : यदि जातक व जातिका की जन्म कुंडली में कुम्भ लग्न होने पर नवम भाव का स्वामी बाधाकारक होता है यहाँ पर नवम भाव का स्वामी शुक्र होगा जिससे भौतिक सुख में कमी, धर्म-कर्म में कमी तथा मन परेशान रहना तब यहाँ पर शुक्र ग्रह की शांति करे लक्ष्मी चालीसा का पाठ, सफ़ेद वस्तु का दान करना, शुक्रवार को जंडी का पूजन करना शुभ रहेगा।
12 : यदि जातक व जातिका की जन्म कुंडली में मीन लग्न होने पर सप्तम भाव का स्वामी बाधाकारक होता है यहाँ पर बाधाकारक ग्रह बुध होगा जैसा की चित्र में दर्शाया गया है जिससे वैवाहिक जीवन में परेशानी, शादी में विधन होना, व्यापार में नुकसान होना तब बुध ग्रह की शांति करे यहाँ पर दुर्गा का पाठ करना, हिजड़ो को दान देना शुभ रहेगा।

।।जय माता दी।।

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