Wednesday 12 December 2018

महादशा और उपाय: भाव के अनुसार फल: फलादेश के नियम:

महादशा और उपाय: भाव के अनुसार फल: फलादेश के नियम: 
ज्योतिष में ग्रहों की महादशा के अनुसार फल प्राप्त होते है। 
कुंडली से हम यह पता लगता है की कोनसा ग्रह की महादशा समस्या पैदा कर रही तो उस ग्रह का उपाय करना चाहिएे। 
अनुकूल और प्रतिकूल दोनों ग्रहों की महादशा का उपाय करना चाहिएे। 
वे हमारे अनुकूल है या प्रतिकूल ।
जो ग्रहों की महादशा आपके अनुकूल, भाग्येश, योगकारक और मित्र है ,केंद्र त्रिकोण के स्वामी हैं, लग्नेश है,तो उन ग्रहों की महादशा मे भी उपाय करना चाहिए। 
जो ग्रहों की महादशा आपके प्रतिकूल हैं मारक, बाधक, नीच के, शत्रु या अकारक हैं तो 
उनकी महादशा हमारे लिए लाभ नहीं कर सकती है । 
अनुकूल या प्रतिकूल ग्रह के महादशाके उपाय अलग अलग होगे ।
अनुकूल ग्रह की महादशा मे रत्न धारण करना चाहिएे। 
अनुकूल ग्रह की महादशा मे मंत्रोच्चार या पूजन विधि तथा प्रार्थना से कर सकते है।
प्रतिकूल ग्रह की महादशा ,मारक, बाधक, नीच के, शत्रु या अकारक है तो ग्रहों की महादशा मे वस्तुओं का दान करना चाहिए। 
अनुकूल ग्रह की महादशा मे उपाय मंत्रोच्चार या पूजन होता है :
1.चंद्र ग्रह की महादशा : सोमवार को शिव भगवान की पूजा करें- शिवलिंग पर कच्चा दूध एवं दहीं, धतुरा अर्पित करें। . कपूर . शिव पंचायतनसे पूजन करें। 
2.मंगल ग्रह की महादशा : मंगलवार को हनुमान जी पूजा करें। दीपक लगाने के साथ ही अगरबत्ती, पुष्प आदि अर्पित करतथा सिंदूर, चमेली का तेल चढ़ाएं। मंत्र- ऊँ रामदूताय नम:, ऊँ पवन पुत्राय नम: । हनुमान चालीसा का पाठ करें।
3. बुध ग्रह की महादशा : बुधवार को गणेश भगवान की पूजा विधि-विधान से करें। .
4.गुरू ग्रह की महादशा : बृहस्पतिवार को बृहस्पति देव की पूजा विधि-विधान से करें। बृहस्पति देव विद्या, धन, और संतान की कृपा करने वाले देवता है। अपने शरीर अंग नाभि और मस्तक पर केसर तिलक लगाना चाहिए और भोजन में भी केसर का प्रयोग करें। गुरू मंत्रों, विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ व जप करें या फिर कराएं। साधु, ब्राह्मण और पीपल के पेड़ की पूजा करें। पीपल की जड़ में जल, चने की दाल और पीले रंग की मिठाई चढ़ाएं। पीले रंग के धागे में गुरूवार के दिन 5 मुखी रूद्राक्ष धारण करें।
5.शुक्र ग्रह की महादशा : ज्योतिष शास्त्र में भी मानव की पिड़ाओं और परेशानियों को दूर करने के लिए उपाय शुक्रवार को ही करने को उपयुक्त बताया गया है। चिटि्टयों को दाना , सफेद गाय को रोटी , गरीबों को भोजन और दान-पुण्य करें।
6. शनि ग्रह की महादशा : शनिवार को शनि देव की की पूजा करें: शनि देव के प्रकोप से बचते हैं। शनि देव को न्याय का देवता है। शनि देव को खुश करगे तो आपके पापों का नाश करगे . हनुमान चालिसा का पाठ,शनि देव के दर्शन, नीले पुष्प अर्पित करें।शिवलिंग पर जल अर्पित करें। , पीपल की पूजा ,गरीब व्यक्ति को भोजन कराएं।
7.सूर्य ग्रह की महादशा : रविवार को सूर्य देव की पूजा विधि से करना चाहिए: सफलता और यश के लिए सूर्य देव को नमस्कार करें, लाल चंदन का लेप, कुकुंम, चमेली और कनेर के फूल अर्पित करें, दीप प्रज्जवलित, सूर्य मंत्र का जाप करें 
प्रतिकूल ग्रह ,अशुभ ग्रहों ,मारक, बाधक, नीच के, शत्रु या अकारक है तो ग्रहों की महादशा वस्तुओं का दान करना चाहिए।
प्रतिकूल ,अशुभ ग्रहों की महादशा मे उपाय :
सूर्य की महादशा : सूर्य को जल देवे . पिता की सेवा करना चाहिए । गेहूँ ,तांबे , बर्तन का दान करें।
चंद्र की महादशा : मंदिर में कच्चा दूध और चावल दान करे। माता की सेवा करना चाहिए ।. चावल, दुध ,चान्दी का दान करना चाहिए ।
मंगल की महादशा : मंगलवार को बंदरो को गुड और चने खिलाना चाहिए । भाई बहन की सेवा करना चाहिए । साबुत, मसूर की दाल का दान, करना चाहिए ।
बुध की महादशा : ताँबे का दान करना चाहिए ।
साबुत मूंग का दान करना चाहिए ।माँ दुर्गा की आराधना करनी चाहिए । 
बृहस्पति की महादशा : केसर का तिलक लगाना चाहिए । केसर खाएँ और नाभि , जीभ पर लगाना चाहिए ।चने की दाल का पिली वस्तु का दान चाहिए ।
शुक्र की महादशा : गाय की सेवा करना चाहिए ।
घर ,शरीर को साफ-सुथरा रखना चाहिए । 
गाय को हरी घास खिलाना चाहिए। 
दही, घी, कपूर का दान करना चाहिए ।
शनि की महादशा : शनिवार के दिन पीपल पर तेल का दिया जलाना चाहिए । बर्तन में तेल लेकर उसमे अपना छाया दखें और बर्तन तेल के साथ दान करना चाहिए ।
हनुमान जी की पूजा करना चाहिए । बजरंग बाण का पाठ करे।
काले साबुत उड़द और लोहे की वस्तु का दान करना चाहिए । . 
राहु की महादशा : जौ ,मूली ,काली सरसों का दान करना चाहिए । 
केतु की महादशा : काला सफ़ेद कम्बल कोढियों को दान करना चाहिए । कौओं को रोटी खिलाएं. काला तिल का दान करे। 
अगर आपके जीवन में जिस ग्रह की महादशा चल रही है तो आप उस तरह उपचार कर सकते हैं । 
महादशा का भाव के अनुसार फल का होना :
लग्नेश की महादशा - स्वास्थ्य अच्छाहोना , धन-प्रतिष्ठा में वृद्धि होना। 
धनेश की महादशा - अर्थ लाभका होना , मगर शरीर कष्ट, स्त्री (पत्नी) को कष्ट होना। 
तृतीयेश की महादशा - भाइयों के लिए परेशानी, लड़ाई-झगड़ा का होना। 
चतुर्थेश की महादशा - घर, वाहन सुख होना , प्रेम-स्नेह में वृद्धि होना। 
पंचमेश की महादशा - धनलाभ होना , मान-प्रतिष्ठा , संतान सुख, माता को कष्ट होना। 
षष्ठेश की महादशा - रोग होना , शत्रु, भय, अपमान का होना ,संताप होना।
सप्तमेश की महादशा - जीवनसाथी को स्वास्थ्‍य कष्ट, चिंता का होना। 
अष्टमेश की महादशा - कष्ट होना , हानि होना , मृत्यु का भय होना। 
नवमेश की महादशा - भाग्योदय का होना , तीर्थयात्रा का होना , प्रवास का होना , माता को कष्ट। 
दशमेश की महादशा - राज्य से लाभ, पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति, धनागम, प्रभाव मे वृ‍द्धि, पिता को लाभ। 
लाभेश की महादशा - धन से लाभ, पुत्र की प्राप्ति, यश में मिलना , पिता को कष्ट होना। 
व्ययेश की महादशा - धन मे हानि, अपमान का होना , पराजय, देह कष्ट, शत्रु पीड़ा होना। 
फलादेश के नियम :
- जो ग्रह अपनी उच्च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो - शुभ फलदायक होगा।
- इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभफल दायक होगा।
- जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है, वह शुभ फल देता है।
-त्रिकोण के स्वा‍मी सदा शुभ फल देते हैं।
- क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्वामी सदा अशुभ फल देते हैं।
- दुष्ट स्थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं।
- शुभ ग्रह केन्द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्द्र में अशुभ फल देते हैं।
-बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं, वैसा ही फल देते हैं।
- सूर्य के निकट ग्रह अस्त हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं।

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