Thursday 30 August 2018

कालसर्प दोष

कालसर्प योग जन्म-कुण्डली मे बनने वाला एक योग है । बहुत से विद्वान इस योग को नहीं स्वीकार करते । समस्याएं हैं अगर तो उनका सस्ता प्रभावशाली स्वयं करने वाला जाप व उपाय भी है । दुनिया के बहुत सफल तथा प्रसिद्ध लोगो की कुण्डली में यह योग देखा गया है । काल सर्प योग कब दण्ड देता है -
१. जब-जब राहु की दशा , अन्तर्दशा,, प्रत्यन्तर्दशा आती है |
२. जब - जब भी गोचरवशात राहु अशुभ चलता हो |
३. जब भी गोचर से काल सर्प योग की सृष्टि हो
जब अन्य सभी ग्रह राहु-केतु के एक तरफ होते हैं तो कुण्डली में काल-सर्प योग (दोष) बनता है । मुख्य रूप से १२ कालसर्प दोष हैं -
१) अनन्त कालसर्प दोष- जब राहु प्रथम भाव में हो तथा केतु सातवें भाव में हो | जातक को जल्दी गुस्सा आता है | सफाई पसंद नहीं रहता | विवाहित जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है |

२) कुलिक कालसर्प दोष -जब राहु द्वितीय भाव में हो तथा केतु अष्टम भाव में हो | सम्पति पर बुरा प्रभाव पड़ता है | जुबान पर नियंत्रण नहीं रहता | दुर्घटना और शल्य-चिकित्सा भी करवा देता है |
३) वासुकी कालसर्प दोष -जब राहु तृतीय भाव में हो तथा केतु नवम भाव में हो | छोटे भाई-बहन से नहीं निभ पाती | कार्य के लिए संघर्ष नहीं कर पाता |
४) शंखपाल कालसर्प दोष -जब राहु चतुर्थ भाव में हो तथा केतु दशम भाव में हो | सुख-सुविधा में कमी आती है | कारोबार और नौकरी में परेशानी रहती है | माता सुख में कमी | अधिक गुस्सा |
५) पद्म कालसर्प दोष -जब राहु पंचम भाव में हो तथा केतु एकादश भाव में हो | शिक्षा प्रभावित होती है | औलाद होने में देरी | प्रेम-सम्बन्ध में समस्या |
६) महापद्म कालसर्प दोष -जब राहु छठे भाव में हो तथा केतु द्वादश भाव में हो | अधिक दुशमन | कर्जा , शारीरिक कमजोरी |
७) तक्षक कालसर्प दोष -जब राहु सातवें भाव में हो तथा केतु प्रथम भाव में हो | vivahik जीवन पर बुरा असर | विवाह में देरी | सिरदर्द ,उच्च रक्तचाप , क्रूरता |
८) कर्कोटक कालसर्प दोष -जब राहु अष्टम भाव में हो तथा केतु द्वितीय भाव में हो | बीमारी , bachat में कमी | ससुराल से झगड़ा | पैतृक़ सम्पति मिलने में रुकावट |
९) शंखचूड़ कालसर्प दोष -जब राहु नवम भाव में हो तथा केतु तृतीय भाव में हो | जुए,सट्टे की आदत | नास्तिक | रिश्तेदारों से झगड़ा | दुर्भाग्य |
१०) पातक कालसर्प दोष -जब राहु दशम भाव में हो तथा केतु चतुर्थ भाव में हो | सुविचारों में कमी | मानसिक अशांति |
११) विषधर कालसर्प दोष -जब राहु एकादश भाव में हो तथा केतु पंचम भाव में हो | पैसा कमाने में समस्या | अधिक यात्रा | भाई दुश्मन बन जाता है | बच्चे से भी परेशानी |
१२) शेषनाग कालसर्प दोष -जब राहु द्वादश भाव में हो तथा केतु छठे भाव में हो | कर्जा , सम्मान में कमी | दुश्मन से नुक्सान | बीमारी |

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